महाभारत और भगवद् गीता में माता देवकी ने भगवान कृष्ण के अव्यक्त रूप का विशेष वर्णन किया है। यह रूप समस्त गुणों से रहित, विकारहीन, और ब्रह्म ज्योति स्वरूप है। देवकी के अनुसार, यही रूप भगवान विष्णु का है जो समस्त ब्रह्माण्ड के पीछे छिपे कारण और निराकार सत्ता के प्रतीक हैं।
इस श्लोक का उद्देश्य भगवान की अनिर्वचनीय सत्ता और आलौकिक शक्ति का बखान करना है, जो ब्रह्माण्ड के संचालन का आधार है। यह उपदेश हमें याद दिलाता है कि देवता के कई रूप होते हैं और हर रूप अपने आप में एक विशेष संदेश लिए होता है।
हाल ही में यूरोपीय देशों द्वारा फिलिस्तीन को मान्यता देने के फैसले से मध्य पूर्व…
हाल ही में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि…
प्राचीन विश्व की सभी प्रमुख सभ्यताओं की मूर्तिकलाओं में सांपों का विशेष महत्व रहा है।…
भारतीय नर्स निमिषा प्रिया, जो बिजनेस पार्टनर की हत्या के आरोप में 2017 से यमन…
MG कंपनी ने अपनी नई इलेक्ट्रिक एसयूवी MG M9 को एकल वेरिएंट में लॉन्च किया…
भारतीय क्रिकेट टीम को मैनचेस्टर टेस्ट से पहले बड़ा झटका लगा है। ऑलराउंडर नीतीश कुमार…