महाभारत और भगवद् गीता में माता देवकी ने भगवान कृष्ण के अव्यक्त रूप का विशेष वर्णन किया है। यह रूप समस्त गुणों से रहित, विकारहीन, और ब्रह्म ज्योति स्वरूप है। देवकी के अनुसार, यही रूप भगवान विष्णु का है जो समस्त ब्रह्माण्ड के पीछे छिपे कारण और निराकार सत्ता के प्रतीक हैं।
इस श्लोक का उद्देश्य भगवान की अनिर्वचनीय सत्ता और आलौकिक शक्ति का बखान करना है, जो ब्रह्माण्ड के संचालन का आधार है। यह उपदेश हमें याद दिलाता है कि देवता के कई रूप होते हैं और हर रूप अपने आप में एक विशेष संदेश लिए होता है।