ऋग्वेद और अन्य वैदिक ग्रंथों में आकाश को एक व्यापक और अनंत क्षेत्र के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो विभिन्न सृष्टि स्तरों को समाहित करता है। इसके माध्यम से आकाश की अनंतता की शानदार व्याख्या की गई है, जो केवल भौतिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक स्तरों को भी दर्शाती है।
पुराणों, विशेष रूप से विष्णु पुराण और भागवत पुराण, इन अवधारणाओं को गहराई प्रदान करते हैं। इन ग्रंथों में वर्णित सात आकाशों की अवधारणा को समझने से न केवल सृष्टि के वास्तुकला को समझा जा सकता है बल्कि इसका आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व भी स्पष्ट होता है। इन आकाशों में प्रत्येक का अपना विशेष स्थान और भूमिका है, जो ब्रह्मांड के समग्र संतुलन को बनाए रखने में सहायक हैं।
इस आध्यात्मिक वर्णन प्रणाली के माध्यम से, वैदिक और पौराणिक ग्रंथों ने ब्रह्मांड की जटिल संरचना और इसमें मानव की भौतिक और आध्यात्मिक स्थिति को विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया है।
बेहतर नींद के लिए डॉक्टर वॉकर के 6 नायाब तरीकेबहुत से लोग रात भर बिस्तर…
टेस्ला ने 15 जुलाई को बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC), मुंबई में अपना पहला शोरूम खोला था,…
चीन में विक्ट्री डे: किम जोंग उन की चर्चाचीन में हुए विक्ट्री डे समारोह में…
पचास के दशक में अमेरिकी राजनीति में चीन के साथ संबंधों की दिशा को लेकर…
हिमालय में आपदाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। 2025 में मॉनसून…
चीन की विक्ट्री डे परेड में जब उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग अपनी खास ट्रेन…