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गंगा के भविष्य पर मंडराते संकट के बादल

गंगोत्री ग्लेशियर, जो कि गंगा नदी का स्रोत है, के पीछे पिछले 40 वर्षों में 10% पिघलने की खबर आने से चिंताएं बढ़ गई हैं। यह स्थिति उत्तरी भारत के जल संसाधनों पर गंभीर खतरा पैदा कर सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लेशियर के पिघलने के प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियां हैं।

ग्लेशियर के पिघलने से गंगा नदी में जल प्रवाह की मात्रा में कमी आ सकती है, जिससे सिंचाई और पेयजल के लिए इस पर निर्भर क्षेत्रों में संकट गहरा सकता है। यह बदलाव भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए भी बड़ी चुनौती पेश कर सकता है।

इस गंभीर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पर्यावरण संरक्षण, सतत विकास नीति और जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। सरकारों और नागरिकों को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

sauvishproject@gmail.com

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