सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आवारा कुत्तों पर अपने पहले के आदेश को वापस लेते हुए कहा है कि टीकाकरण और नसबंदी के बाद उन्हें दोबारा अपनी जगह पर छोड़ दिया जाए। यह निर्णय एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है, जिसमें आम जनता के साथ-साथ राजनेता भी बंटे हुए हैं। पहले के फैसलों के विपरीत, जो कुत्तों को एक स्थान पर सीमित करने का सुझाव देते थे, यह निर्णय उनके स्वाभाविक परिवेश में रहने के अधिकार को मान्यता देता है। इस किए गए बदलाव ने न केवल जानवरों के अधिकार समूहों बल्कि सामुदायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा संगठनों को भी सतर्क कर दिया है।
फैसले के समर्थकों का कहना है कि यह कुत्तों के साथ मनुष्य के सह-अस्तित्व को बढ़ावा देगा, जबकि आलोचक यह तर्क देते हैं कि यह शहरी क्षेत्रों में सुरक्षा समस्याओं का सामना कर सकता है। विभिन्न सामाजिक समूह और राजनीतिक पार्टियाँ इस मुद्दे पर विभाजित हैं, और इसे लेकर अगले कुछ महीनों में और गहन चर्चा होने की संभावना है।
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