दूसरे विश्वयुद्ध के समय यूरोप की सुरक्षा को लेकर यह मुद्दा उठा था कि देशों को अपनी सीमाओं को मजबूत दीवारों से घेर लेना चाहिए। इससे सुरक्षा आसान हो जाएगी। हालांकि, यह सुझाव तब अमल में नहीं आया, लेकिन आज आठ दशक बाद, रूस के बॉर्डर से सटे कई यूरोपीय देशों में सुरक्षा बाड़ों की मांग तेज हो गई है।
हाल के वर्षों में रूस और विशेष रूप से पूर्वी यूरोपीय देशों के बीच बढ़ते तनाव ने इन बाड़ों की आवश्यकता को और बढ़ाया है। ऊँची दीवारें या बाड़ भौतिक सुरक्षा की एक प्रतीकात्मक और वास्तविक उपाय हो सकती हैं, लेकिन प्रश्न यह है कि क्या इससे युद्ध या संघर्ष रोका जा सकता है।
ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखें तो दीवारें कभी-कभी आक्रमणों को रोकने में कारगर साबित हो सकती हैं, लेकिन उनमें एक लंबी अवधि के समाधान का अभाव होता है। आज की आधुनिक युद्ध तकनीकों के दौर में, संचार और साइबर युद्ध की बढ़ती भूमिका ने पारंपरिक सुरक्षा तरीकों को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बाड़ तो उठाई जा सकती है, लेकिन सच्ची सुरक्षा और स्थिरता केवल राजनीतिक संवाद और कूटनीति से ही हासिल होती है। इस दिशा में यूरोपीय संघ और नाटो के माध्यम से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
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