त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में शहतूत के रेशम का उत्पादन होता है, जो ‘बॅाम्बिक्स मोरी’ नामक रेशमकीट से बनाया जाता है। इसे दुनिया के बेहतरीन रेशमों में गिना जाता है। इस रेशम को बनाने की प्रक्रिया, शहतूत के ककून से निकल कर, स्थानीय अर्थव्यवस्था और आजीविका में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
शहतूत के पत्ते इस रेशमकीट की वृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। यहां की जलवायु इन पत्तों के उगने में सहायक होती है, जिससे अगरतला की सिल्क इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलता है। यह उद्योग न केवल स्थानीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी प्रशंसा प्राप्त कर रहा है।
स्थानीय कला और शिल्प के रूप में भी इस रेशम का विशेष स्थान है। इसे पारंपरिक परिधानों और डिजाइनर वस्त्रों में प्रमुखता से उपयोग किया जाता है।
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