हाल ही में यूरोपीय देशों द्वारा फिलिस्तीन को मान्यता देने के फैसले से मध्य पूर्व में टू-स्टेट सॉल्यूशन को गति मिल सकती है। हालांकि, इस कदम से इजरायल के साथ यूरोपीय संबंध तनावपूर्ण बन सकते हैं। दोनों राज्यों के बीच विवादित मुद्दे—जैसे सीमाएं, यरूशलम की राजधानी और शरणार्थियों का भविष्य—अभी भी हल नहीं हुए हैं, जो पूर्ण मान्यता की राह में बाधा बन सकते हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि इस मान्यता के पीछे यूरोपीय देशों की मंशा मध्य पूर्व में शांति को बढ़ावा देने की है, लेकिन यह कदम इजरायल के साथ व्यापार और राजनीतिक संबंधों में जटिलता ला सकता है। इस पहल से फिलिस्तीन के अधिकारियों को अंतर्राष्ट्रीय समर्थन और वैधता हासिल होगी, लेकिन यह इजरायल के साथ वार्ता को जटिल बना सकता है।
बेहतर नींद के लिए डॉक्टर वॉकर के 6 नायाब तरीकेबहुत से लोग रात भर बिस्तर…
टेस्ला ने 15 जुलाई को बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC), मुंबई में अपना पहला शोरूम खोला था,…
चीन में विक्ट्री डे: किम जोंग उन की चर्चाचीन में हुए विक्ट्री डे समारोह में…
पचास के दशक में अमेरिकी राजनीति में चीन के साथ संबंधों की दिशा को लेकर…
हिमालय में आपदाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। 2025 में मॉनसून…
चीन की विक्ट्री डे परेड में जब उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग अपनी खास ट्रेन…